यह कहानी है एक ऐसे शहर की, जहां लोगों के दिल भी उसके नज़ारे जैसे सुंदर होते हैं। शहर के एक कोने में, एक छोटे से गली में, एक लड़का रहता था जिसका नाम रोहन था। रोहन एक बहुत ही समझदार और सेंसिटिव लड़का था। उसके पास एक कुत्ता था, जो उसका सबसे अच्छा दोस्त था। उसका नाम गुड्डू था, क्योंकि वह छोटा और बहुत प्यारा और गोलू मोलू था। रोज़ सुबह, रोहन और गुड्डू साथ-साथ पार्क जाते थे। पार्क में उनका एक दोस्त भी था, एक बूढ़े इंसान जो हर सुबह पार्क की झील के किनारे बैठा मिलता था। उनका नाम मिस्टर शर्मा था।
एक दिन, पार्क में एक नई लड़की आई। उसका नाम प्रिया था। प्रिया भी रोहन की तरह ही शहर में नयी थी। वह दिल की बहुत अच्छी थी, और उसका मुस्कुराना शहर के लोगों के लिए एक नयी ख़ुशबू की तरह था। रोहन ने पहली बार प्रिया को देखा जब वह पार्क में अपने पापा के साथ आई थी। उस दिन से रोहन का दिल प्रिया पर आ गया।
धीरे-धीरे, रोहन और प्रिया की दोस्ती बढ़ती गई। पार्क में उनकी मुलाकात होती थी, और गुड्डू भी हर समय उनके साथ होता था। एक दिन, जब प्रिया ने अपने कॉलेज का एक प्रोजेक्ट लेकर आया, रोहन ने उसकी बहुत मदद की। जिससे उनकी दोस्ती और गहरी हो गई जब वह साथ में प्रोजेक्ट पर काम करने लगे। और धीरे धीरे एक दूसरे के और करीब आने लगे।
एक शाम, जब बादल घने छाए थे और ठंडी हवा चल रही थी, साथ ही हल्की हल्की सी बौछार हो रही थी, और बादलों के बीच से चांद झांक रहा था, जैसे वो भी किसी खूबसूरत से पल का इंतजार कर रहा था। तब रोहन बेंच से उठा और प्रिया के सामने अपने घुटनों पर बैठ गया, प्रिया अचानक से समझ नहीं पाई कि रोहन करना क्या चाहता है।
प्रिया - "अरे अरे! क्या कर रहे हो?"
रोहन ने बिना कोई शब्द खर्च किए, हल्के से उसका हाथ पकड़ा, उन्हें अपने होठों के पास लाया, चूमा और बोला -
रोहन - "प्रिया! जिस शाम मैंने तुम्हें पहली बार देखा, तबसे फिर किसी को नहीं देखा, मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूं, और सारी ज़िंदगी तुम्हें यूं ही देखते रहना चाहता हूं, बस तुम्हारी इजाज़त चाहिए।"
प्रिया ये सब सुनकर पल भर को हक्की बक्की रह गई, फिर उसे कुछ शरारत सूझी और बेंच से उठकर, बाल झटक कर मुंह घुमाते हुए बोली - "नहीं देती मैं इजाज़त, चलो मुझे देखना बंद करो।"
रोहन उसकी शरारत समझ गया था, उसने झट से प्रिया का हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया, प्रिया ने भी उसे ज़ोर से गले लगा लिया।
बारिश भी उनके प्यार का जश्न मनाने के लिए झूम के गिरने लगी, कुछ ही देर में दोनों तर बतर भीग गए थे, उन्हें गुड्डू के भौंकने की आवाज़ सुनकर होश आया। तब देखा गुड्डू पार्क के एक कोने में एक झोपड़े के अंदर से भौंक रहा है।
रोहन और प्रिया भी उसी तरफ गए, देखने में झोपड़ी छोटी थी पर, वहां जगह काफ़ी थी, प्रिया यहां वहां देखने लगी, और उसे वहां एक प्रेमी जोड़ा दिखा, जो सारी दुनिया भुला कर एक दूसरे में ही खोए हुए थे, एक दूसरे के होठों ने डूबे अपने इश्क़ की गहराइयां नाप रहे थे। उन्हें किसी के आने जाने का कोई होश नहीं था।
प्रिया ने रोहन को कोहनी मारी, रोहन कुई कुई करते हुए बोला - "अरे! अब क्या हुआ? यहां मुझे पीटने लाई हो क्या?"
प्रिया अपने होठों पर उंगली रखकर चुप होने का इशारा करके फिसफिसाते हुए बोली -
"शशशश! धीरे बोलो, उधर देखो..."
बोलकर और रोहन के और करीब आ गई, और नज़रें झुका ली, उसके चेहरे पर लालिमा थी, देखकर ही समझ आता है कि वो रोहन को क्या कहना चाहती है।
रोहन ने उसके कंधे पर बिखरे बाल हटाए, और उसकी उंगली प्रिया का कंधा छू गया, प्रिया झट से रोहन से लिपट गई, गीले कपड़े जैसे शरीर पर लिपटे थे ठीक उसी तरह,,,
रोहन धीरे धीरे उसके होठों के पास गया, अब दोनों एक दूसरे की सांसों को महसूस कर पा रहे थे, दोनों की धड़कनें और सांसे बांध तोड़ कर निकली नदी के वेग की तरह थी।
दोनों के होंठ कांप रहे थे, और दोनों ही एक दूसरे को और करीब, बहुत करीब चाह रहे थे।
और तभी रोहन पीछे हट गया, और झट से खुद को संभाल के बोला - "एएनएम! वो.... वो बारिश रुक गई है, चलो मैं तुम्हें घर छोड़ दूं।"
प्रिया कुछ समझ नहीं पाई क्या हुआ, वो ये भी नहीं समझ पा रही थी कि उसे अच्छा लगना चाहिए या बुरा।
गुड्डू को साथ लेकर दोनों घर की ओर चल पड़े, घर पहुंचकर रोहन को अलविदा कहने से पहले प्रिया बोली -
"मुझे तुमसे कुछ पूछना है।"
रोहन मुस्कुराकर बोला - "हम्म! यही न, कि इतने करीब आकर भी मैंने तुम्हें छुआ क्यों नहीं?"
प्रिया ने अपना सिर और नज़रें नीचे की, और सिर हिलाकर जवाब दिया - "हम्म्म!"
रोहन - "मैं आधुनिक युग का लड़का हूं, बहुत हद तक आधुनिक सोच भी रखता हूं, पर एक दूसरे को छूना, चूमना या हमबिस्तर होना ही प्यार है ये मैं नहीं मानता, प्यार में बहुत गहराई है, हमें उस अहसास को करीब से महसूस करना चाहिए, न कि जिस्मानी ताल्लुक। शादी के बाद सारी ज़िंदगी पड़ी है।
तब तक क्यों न हम दोनों सिर्फ प्यार करें, तुम मैं और गुड्डू। और हमारी पाक सी मोहब्बत।"
इतना कहकर रोहन ने प्रिया के माथे को चूमा, और नाक पकड़ के बोला -"समझी पगली?"
कहकर, गुड्डू को लेकर निकल गया।।
✍️ शाश्वती हालदार
Summary: इस हिंदी कहानी ' पाक सी मोहब्बत ' में मैंने आपके सामने ' रोहन और प्रिया की कहानी ' पेश की, जिसमें ' एक शहर, उसने उनकी पहली मुलाकात, दोस्ती और प्यार ' भी दर्शाया है, यह एक 'लव स्टोरी ' के साथ साथ एक 'रोमेंटिक स्टोरी ' भी है।
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bhot hi khubsurat
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंVery gorgeous ❤️..
जवाब देंहटाएंThank you so much
हटाएंVery nice 👌
जवाब देंहटाएंThank you so much dear 💗
हटाएंबेहद ख़ूबसूरत लेख ❤️
हटाएंदिल से शुक्रिया
हटाएंबहुत गहरा लिखा है ...वाह.
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