परिचय:
बारिश की रात की यह कहानी रीमा और आरव की भावनाओं और अतीत की उलझनों के इर्द-गिर्द घूमती है। रात के अंधेरे और बारिश की बूंदों के बीच, रीमा अपने पुराने दिनों को याद करती है और अचानक उसे अपने बचपन के दोस्त आरव से मुलाकात होती है। यह कहानी दोस्ती, प्यार, धोखा, और दर्द के पहलुओं को छूते हुए जीवन के कठिनाईयों का सामना करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
कहानी:
रात का समय था, आसमान में घने बादल छाए हुए थे। काले बादलों से घिरी हुई चांदनी हल्की-हल्की चमक रही थी। चारों तरफ़ अंधेरा था, बस सड़कों पर बिजली की चमकती हुई रौशनी और बारिश की बूंदों की टप-टप की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
रीमा अपने कमरे में खिड़की के पास बैठी हुई थी। बाहर बारिश की तेज़ बौछारें गिरती हुई देख रही थी और वह खिड़की से बाहर झांकते हुए अपने पुराने दिनों को याद कर रही थी।
पुराने दिन, उसकी बचपन की यादें, वो शरारतें, बदमाशियां, और दोस्तों के साथ बिताए वो तेईस साल....
अब तो जैसे सब सपने सा लगता है, कुछ ही समय में सब कैसे बदल गया, वो भी सोचकर हैरान होती है, कि इतने कम समय में इतना कुछ,,, वो भी उसके साथ.....
ये सब सोचकर एक लंबी दर्द भरी सांस छोड़ती है।
तभी उसे अपने घर के बगीचे में एक परछाई दिखी, उत्सुकता से रीमा ने खिड़की खोली और देखा कि वह एक युवक था, जो बारिश में भीगता हुआ बगीचे के अंदर आ रहा था। वह कोई और नहीं, बल्कि आरव था, रीमा का बचपन का दोस्त, सिर्फ दोस्त नहीं उसका बेस्ट फ्रेंड या कहें कि उसका सारा बचपन था वो, जिसे उसने कई सालों बाद देखा था।
उसे देखकर रीमा का उदास मन झट से खिल उठा, और जिन दिनों को वो याद कर रही थी, उसे लगा जैसे वो दिन खुद उसके पास चलकर आ गए उसके दरवाजे पर।
Bell बजाने से पहले ही उसने आरव के लिए दरवाजा खोल दिया।
"आरव!" रीमा ने आश्चर्य से पुकारा। "तुम यहाँ कैसे?"
आरव ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "तुम्हें देखकर अच्छा लगा, रीमा। सोचा, बारिश का मज़ा लेने के लिए तुम्हारे पास आ जाऊं।"
दोनों ने हंसते हुए एक दूसरे को गले लगाया और घर के अंदर आ गए। रीमा ने आरव को एक तौलिया दिया और उस तौलिए से आरव आपने बड़े बड़े घुंघराले बालों को सुखाने लगा। दोनों ने साथ में चाय बनाई और सोफे पर बैठकर बारिश का मज़ा लेने लगे।
चाय की चुस्कियों के बीच, आरव ने रीमा से कहा, "रीमा, क्या तुम्हें याद है जब हम छोटे थे और बारिश में खेला करते थे? मुझे भीगना नहीं पसंद था, और तुम मुझे खींच खींच कर भीगने ले जाती थी।"
रीमा के चेहरे पर एक सूखी सी मुस्कान की रेखा दिखाई दी, और कहा, "हां, आरव। वो दिन...." इतना कहकर एक लम्बी सांस छोड़ी, फिर वही सूखा सा मुस्कुराकर बोली " हाँ, मुझे आज भी याद हैं वो दिन..."
इतना कहते कहते आरव ज़ोर - ज़ोर से छींकने लगा, तब रीमा को याद आया कि बचपन में भी भीगने के बाद आरव को सर्दी हो जाती थी, और बहुत बीमार पड़ जाता था।
वो तुरंत उसे बोली, "अरे! तुम पूरी तरीके से गीले हो, तुम कपड़े बदल लो।"
आरव मना करते हुए बोला "नहीं, मैं ठीक हूं।"
रीमा - " अरे! ऐसे कैसे ठीक है, शर्ट निकलते हो या मैं निकलूं।"
ये बात सुनकर मुस्कुराया, और बोला -"तुम अभी भी नहीं बदली।" बोलकर अपनी शर्ट निकालने लगा, और रीमा उसे जीत की खुशी लेकर देख रही थी।
शर्ट निकलते ही आरव का गठीला शरीर बाहर आ गया, उसकी हर एक मांसपेशी अलग नज़र आ रही थी, रीमा की दोस्ती वाली नज़र और हंसी पल भर में गायब हो गई।
उसे ऐसा लग रहा था जैसे इस शरीर पर यदि बारिश की एक भी बूंद गिरी तो गर्म तवे पर पानी पड़ने जैसा होगा। और उसे पल भर को लगा, इस नम मौसम में अचानक से गर्मी बढ़ गई।
आरव रीमा की खामोशी और एक टक निगाह देखकर, चुटकी बजाकर बोला - " ओ हेलो रीमा जी! अब खुश?"
रीमा सुध में आकर, "हां.... हां, अब ठीक है।"
आरव - "अब मुझे ऐसे ही देखती रहोगी या कुछ पहनने को भी दोगी?"
रीमा अभी भी आरव को देखते हुए, "हां, हां लाई...!
रीमा वहां से उठकर उसके रूम की तरफ जाने लगी, और उसके मन में आवाज़ आई -"छी रीमा! तुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए, वो तेरा बचपन का बेस्ट फ्रेंड है, तुझे उसके बारे में ऐसे ख्याल मन में भी नहीं लाना चाहिए।"
तुरंत तभी उस आवाज़ का विरोध करते हुए रीमा ने मन ही मन कहा " क्या मेरी सुनी ज़िंदगी को सजाने का कोई हक़ नहीं, और वैसे भी आरव खुद आगे से चल कर आया है, मैं तो नहीं गई।"
फिर उसके मन में वही आवाज गूंजी "नहीं, आरव तेरा बेस्ट फ्रेंड है, तू अपनी उजड़ी ज़िंदगी से उसकी ज़िंदगी बर्बाद नहीं कर सकती।"
तभी आरव की आवाज़ आई, "अरे! अब क्या कपड़े सिल कर ला रही हो? जल्दी आओ, ठंड लग रही है।"
आरव की आवाज़ कानों पर पड़ते ही, उसने अलमारी से बाथरोब उठाया और अलमारी के दरवाज़े को खट से बंद कर दिया, मानो उसने मन के विचारों के मुंह पर द्वार बंद कर दिया हो।
और भागते हुए आरव के पास आई, उसे बाथरोब देते हुए, थोड़ा झिझक कर बोली "एक्चुअली, मैं यहां अकेली रहती हूं, इसलिए सिर्फ मेरे ही कपड़े हैं, तो तुम्हारे लिए मुझे यही मिला, जो तुम अभी पहन सकते हो।"
आरव ने बाथरोब लेते हुए पूछा "बाथरूम?"
रीमा ने इशारा करके बताया...!
आरव कपड़े बदल कर आया, तो देखा रीमा सोफा पर बैठकर कुछ सोचने में मगन है। वो भी उसके पास आकर बैठ गया।
अब रीमा ने उसकी तरफ देखा और पूछा "आरव! तुम तो ऑस्ट्रेलिया चले गए थे, वहां से कब आए, और मेरी याद कैसे आई? मतलब, अचानक मेरे पास कैसे? कोई काम या जरूरत थी क्या? और तुम्हें मेरा एड्रेस कैसे मिला?"
आरव कुछ देर तक चुप रहा, उसका चेहरा देख कर लग रहा था कि उसे बहुत कुछ कहना है, पर कहां से शुरू करूं वही सोच रहा है।
आरव " हां मैं ऑस्ट्रेलिया में ही था, मैं इंडिया परसों रात ही आया हूं, कल का दिन तुम्हारा पता लगाने में लगा, और आज मैं तुम्हारे सामने हूं।"
"मुझे तुमसे कुछ बहुत important बात करनी है।"
कहते ही आरव के चेहरे के भाव बदल गए, रीमा को बहुत ज्यादा टेंशन होने लगी, उसने लंबी सी सांस लेते हुए कहा "हां बोलो! क्या बोलना है... ऐसे सस्पेंस न बढ़ाओ।"
आरव "मैं पिछले हफ्ते visa renewal के लिए medical tests कराने hospital गया था, और मेरी मुलाकात शमा से हुई।"
इतना सुनते ही, रीमा की खुशी का ठिकाना न रहा, वो आंखे गोल गोल करके बोली, " वो ऑस्ट्रेलिया में है? कैसी है वो? उसने मेरे बारे में कोई बात की? वो मुझे याद तो करती ही होगी है न?"
इतना कह ही पाई थी कि आरव कठोर स्वर में बोला " रीमा, let me finish first."
रीमा एकदम से चुप हो गई।
और आरव ने बोलना शुरू किया।
"शमा ने मुझे बहुत कुछ बताया, और कॉन्फेस किया, कि तुम्हारी जिंदगी उसके कारण बर्बाद हुई।"
थोड़ा रुक कर,, "अच्छा रीमा! तुम्हें कभी ये नहीं लगा कि ज़िंदगी के 23 साल तुम जिस लड़के के साथ गुजार सकती हो, आगे के 40 - 50 साल भी उसके साथ गुजर सकती हो?"
"मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं बचपन, और जैसे- जैसे हम बड़े हुए, तुम्हारे लिए मेरा प्यार बढ़ता गया, इस बात से तुम अनजान थी पर शमा को बहुत अच्छे से पता था।"
रीमा एकटक आरव को ही देखे जा रही थी, उसके गले से स्वर नहीं निकल रहा था।
आरव "शमा दीपक से प्यार करती थी, और दीपक भी उससे प्यार करता था।"
रीमा यह सुनते ही चौंक उठी, और सहमे से स्वर में बोली "कौ.. कौ..कौन दीपक...?"
आरव "वही जिसका तुम सोच रही हो, तुम्हारा husband दीपक।
दीपक के परिवार को तुम बहुत अच्छे से जानती हो, वो शमा और दीपक की शादी कभी नहीं होने देते, क्योंकि दीपक की फैमिली कट्टर हिंदू है, और शमा मुस्लिम। इसी कारण उन लोगों ने बहुत ही घिनौना प्लान बनाया, जिसने बलि का बकरा तुम थी।
तुम्हारी शादी के पहले ही तुम्हारा डाइवोर्स फाइनल हो चुका था।"
रीमा कांपते से स्वर में बोली "कैसा प्लान आरव? तुम क्या बोल रहे हो?"
आरव- "उनका प्लान था, दीपक की शादी तुमसे होगी, और फिर कुछ दिनों बाद दीपक अपने परिवार के सामने तुम्हें बुरा बनाकर तुम्हें divorce दे देगा, और फिर बेचारा बन कर शमा से शादी को सबको मना लेगा।
पर इसमें सबसे problem था मैं, मुझे रास्ते से हटाने के लिए शमा ने बहुत ही घटिया कहानी बनाई। उसे पता था तुम्हारे घर वालों की पहली पसंद मैं हूं, इसलिए उसने तुम्हारे मम्मी पापा को बताया कि वो मेरे बच्चे की मां बनने वाली है, और अब मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं ताकि तुम्हारे पापा की प्रॉपर्टी मेरी हो जाए। और मेरा प्लान है कि शादी के बाद घर पर तुम और घर के बाहर शमा मेरे साथ रहे।
उसने ये सारी बाते अंकल आंटी को ऐसे नाटकिया ढंग से बताई कि उन्हें विश्वास हो गया।
और फिर उसने ही दीपक के बारे में बताया, और तुम्हारी मर्जी जाने बगैर ही अंकल आंटी से तुम्हारी शादी तय करवा दी। क्योंकि सभी को पता था, जैसे मैं तुम्हारा बचपन का दोस्त हूं वैसे ही वो भी तुम्हारे बचपन की दोस्त है, और सभी को विश्वास था कि वो तुम्हारा बुरा नहीं चाहेगी।
तुमने भी मम्मी पापा की बात नहीं टाली, और तुम शादी की तैयारियों और रस्मों में उलझ गईं, और बाकि सब मुझे तुमसे मिलने से रोकने में। फिर मैं भला यहां रहकर क्या ही करता, मैं भी मेरा टूटा दिल लेकर निकल गया ऑस्ट्रेलिया,,,
मैं मेरे आंखों के सामने मेरे प्यार को किसी और का होते नहीं देख सकता था।"
इतना सब कुछ रीमा मूर्ति की तरह सुन्न होकर सुन रही थी, आरव के रुकते ही उसके आंख से एक आंसू की धार बहने लगी, जो उसके गालों को भिगोते हुए नीचे आ रही थी। आरव ने उसके आंसू पोंछ और बोला -"जैसे ही मुझे शमा ने ये सब बताया, मन कर रहा था, उसका वहीं गला दबा दूं, पर मरे हुए को क्या ही मारना। मुझे ये सारी बातें पता चलते ही, मैं तुरंत यहां आ गया, और आकर तुम्हारे घर गया तो पता चला तुम और दीपक साथ नहीं हो, अंकल तो बात ही नहीं करना चाह रहे थे, फिर बड़ी मुश्किल से मैंने उन्हें सारी बातें बताई, और शमा से भी बात कराई, तब जाकर उन्हें विश्वास हुआ मुझ पर, अब वो अपने किए पर पछता रहे हैं।
और तुम भी महान हो, पता है कितनी मुश्किलों से मैंने तुम्हारा एड्रेस निकाला, अंकल आंटी से पूछा तो पता चला तुमने कोई कॉन्टेक्ट ही नहीं रखा, तुम्हारा पुराना email भी शायद अब use नहीं करती।
शुक्र है, इस साल तुम्हें best employee का award मिला, जिसकी न्यूज पेपर में निकली थी, और अंकल ने उसको संभाल कर रखा था, उसी को देखकर मैं तुम्हारे office गया, पर security purpose से बात नहीं बनी, ऊपर से weekend था, बड़ी मुश्किल से तुम्हारे office के वॉचमैन को ड्रिंक कराके फिर तुम्हारा एड्रेस निकाला। तब जाकर महारानी मिलीं मुझे।
दीपक और तुम साथ नहीं हो ये मेरे लिए shocking नहीं है, पर तुम इस तरह, घर से इतने दूर? अकेले क्यों?"
रीमा सिसकते हुए -"अब ये सब जानकर क्या करोगे, जो होना था सो तो हो गया, अब पुरानी बातें जानकर क्या फायदा।"
आरव-"नहीं बताना, तो मत बताओ, but हम कल घर चल रहे हैं। सबको अपनी गलती का अहसास हैं, अंकल आंटी बहुत अफसोस कर रहे हैं कि काश एक बार उन्होंने तुमपर भरोसा किया होता।"
रीमा -"नहीं आरव, मैं वहां नहीं जा सकती, मुझे अकेले ही रहना सही लगता है, मेरी बर्बाद ज़िंदगी का साया जिसपर भी पड़ेगा वो बरबाद हो जाएगा। तुम्हें भी यहां नहीं आना चाहिए था।"
इतना कहकर रीमा जोरों से रोने लगी, आरव की भी आंखें भर आई, उसने रीमा को गले से लगा लिया, कुछ देर दोनों ही एक दूसरे से लिपट के रोते रहे, फिर आरव ने खुद को संभाला और बोला -
"बताओ, क्या हुआ था?"
रीमा -"शादी के बाद पहली रात ही मैं समझ गई थी दीपक और पतियों जैसा नहीं है, उसे feelings या emotions की परवाह नहीं है, उसे सिर्फ मेरा जिस्म दिखा, वो मुझे बहुत दर्द देता था, बहुत तकलीफ पहुंचता था, फिर भी शांति नहीं मिलती थी तो बिन वजह ही बेल्ट से मरता था, सिगरेट्स से जला देता था, bite करता था, मैं रोती, चींखती - चिल्लाती तो उसे और मज़ा आता, अगले दिन उन्हीं घावों को फिर से कुरेदता था। हर रात एक ही हैवानियत दिखाता, दिन प्रतिदिन उसका अत्याचार बढ़ रहा था।
शादी के एक महीने बाद ही उसने मेरा फोन छीन लिया था, और यहां मम्मी पापा को बताया कि मुझे फोन रखने का मन नहीं होता, इसलिए मैंने फोन छोड़ दिया, और वो रोज मेरे मम्मी पापा से मीठी मीठी बातें करता, उन्हें उलझाएं रखता और अहसास कराता कि वो कितना अच्छा है, मेरा कितना ख्याल रखता है। और जब भी मुझसे बात कराता सामने खड़ा रहता, उसकी मम्मी रहती मैं उनके डर से मम्मी पापा को कभी कुछ नहीं बोल पाई, हमेशा अच्छा अच्छा बोला और उन लोगों की तारीफ ही की। जिससे उन्हें आज भी लगता है कि वो लोग मुझसे बहुत प्यार करते थे, मैंने ही किसी के कहने में आकर उन लोगों को छोड़ दिया।
उन लोगों ने मेरा घर से कहीं बाहर निकलना, यहां तक कि पड़ोसियों से बात करना भी मना कर रखा था, जब दीपक घर पर नहीं रहता था, तब उसकी मम्मी निगरानी करती थी, कहीं जाती भी थी तो सारे खिड़की दरवाजे बंद करके ताले लगाकर जाती थीं, कचरा फेंकना, सब्जी लेना जैसे छोटे मोटे काम के लिए भी बाहर नहीं आने देते थे। मुझे चार दीवारों में कैद कर लिया था।
मां बाप का इकलौता था इसलिए उसकी बात ही घर में आखिरी बात होती थी, दिनबदीन उसके अत्याचार और बढ़ते जा रहे थे, उसकी मां हर बात पर बोलती थी, मर्द है, थोड़ा तो तुम्हें सहना ही पड़ेगा। मर्द का स्वभाव ही ऐसा होता है, नई शादी हुई है ना, धीरे धीरे समझ जाओगी। जो बाहर आजाना, लोगों से फालतू की बातें करना पसंद नहीं करता, और शादी के बाद लड़कियों को मायके ज्यादा बात नहीं करनी चाहिए, उससे मन खराब होता है, और घर में मन नहीं लगता।
शादी के एक साल बाद इन्हीं अत्याचारों के बीच पता चला मैं मां बनने वाली हूं, इस खबर ने मुझे भी जीने की एक नई उम्मीद दी, लगा कि अब शायद सब ठीक हो जाएगा, दीपक तकलीफ तब भी देता था, पर मारा पीटी बंद थी। कुछ महीने सब ठीक चला।
मेरा सातवां महीना चल रहा था, baby की growth भी ठीक थी, कि तभी एक दिन रात में पता नहीं क्या हुआ, मैं सो रही थी, तब दीपक ने मेरी कमर पे लात मारकर मुझ bed से नीचे गिरा दिया, और मैं पेट के बल गिरी, और मुझे बहुत ज्यादा दर्द होने लगा, मैं दर्द से तड़प रही थी, कि उसने फिर मुझे बेल्ट से मरना शुरू कर दिया, और बालों से पकड़ कर मुझे घसीटते हुए घर से बाहर निकाल दिया, बाहर तेज ठंड थी, और मेरे सारे कपड़े खून से लथपथ थे, उसे या उसके घर वालों को मुझ पर, या मेरे बच्चे किसी पर भी दया नहीं आई, मुझे दर्द में तड़पता छोड़कर उन्होंने दरवाजा बंद कर लिया।
दीपक का घर जिस सोसाइटी में है, उस सोसाइटी से बाहर निकलते ही एक वृद्धाश्रम है, मैं जैसे तैसे खुद को समेटते हुए वहां तक गई, और उनके दरवाजे पर जाकर बेहोश हो गई।"
"जब आँख खुली तो मैं hospital में थी, वहां नर्स से पता चला कि वृद्धाश्रम के लोग ही मुझे hospital लेकर आये थे, कुछ ही सेकेंड्स में डॉक्टर आए, मुझे चेक किया और बोले - "I'm sorry रीमा जी, हम आपके बच्चे को नहीं बचा पाए।"
"मुझ पर तो जैसे कोई पहाड़ टूट पड़ा।"
डॉक्टर ने पूछा "ये सब कैसे हुआ?"
मैं कुछ बोलती उससे पहले दीपक मेरे पापा के साथ वहां पहुंच चुका था, वो बड़ा ही उदास सा चेहरा बनाकर बोला "मैं अक्सर उससे कहता, जाओ अपने मम्मी पापा के घर से घूम आओ, पर वो मानती ही नहीं, कल भी मैंने वही कहा, तो वो बोली, "मैं बोझ हो गई हूं क्या आप पर?" इतना बोलकर उसने बालकनी से छलांग लगा दी, वो तो भगवान का शुक्रिया हमारा अपार्टमेंट 1st floor पर है वर्ना रीमा को कुछ हो जाता हो मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाता।"
इतना बोला और दीपक बच्चों की तरह रो पड़ा, फिर एक बार मेरे ही पापा के सामने मुझे बुरा बना दिया, मैंने तब पापा को सबकुछ बताना चाहा, पर पापा की नजरों में मेरे लिए गुस्सा भरा था।
डॉक्टर ने फूट - फूट कर रो रहे दीपक के कंधे पर हाथ रखकर बोला "I'm sorry Mr. Dipak, but आपकी wife अब कभी मां नहीं बन सकती, रीमा जी पेट के बल गिरने के कारण उनको बहुत ज्यादा इंटरनल ब्लीडिंग हुई, और इन्फेक्शन भी तेजी से फैल रहा था, इन्फेक्शन पूरी बॉडी में न फैले इस कारण हमें उनका यूटरस निकलना पड़ा, अब वो कभी मां नहीं बन सकती।"
इतना सुनकर जैसे दीपक को बहुत शांति मिली, उसके आंखों में मागमच्छ के आंसू थे, और वो मेरी तरह देख कर बड़ी बेरहमी से मुस्कुराया जैसे वो कहना चाहता हो - "यही तो मैं चाहता था।"
"मैं हॉस्पिटल से सीधा घर गई, घर पर किसी को मेरी बातों पर विश्वास ही नहीं हुआ, मां बहुत रोई, पर पापा को तुम जानते हो, उन्हें दीपक की बातों पर ही भरोसा था। मैंने सोच लिया था कि अब मैं दीपक के पास नहीं जाऊंगी। मैंने कुछ ही दिनों के इस कंपनी में अप्लाई किया और मुझे जॉब मिल गई, मुझे घर के और मम्मी पापा के हालात देखकर नहीं लगा कि उन्हें मेरी कोई खास जरूरत है, इसलिए किसी को बिना बताएं मैं घर छोड़ दिया, बस मम्मी से कहा था, मुझे जॉब मिल गई। मैं वो घर और शहर दोनों ही छोड़ रही हूं, मम्मी ने रोकने की कोशिश की थी पर मैं पापा के सामने एक दोषी बनकर नहीं रहना चाहती थी।
यहीं से मैंने डाइवोर्स के पेपर्स भेजे थे, उसने आसानी से साइन करके भेज दिए। बस तबसे मैंने मेरे work email के अलावा और किसी पर लॉगिन नहीं किया, सोशल मीडिया से तो कबसे ही डिस्कनेक्ट थी। बस तब से ये घर और ये तन्हाई ही मेरा जहान है।"
रीमा के गाल आंसुओं से भीगे थे, उन्हें पोंछते हुए, फीकी सी मुस्कान लाकर बोली "अब तो इन सबको 3 साल हो गए हैं। मेरे सारे ज़ख्म भर चुके हैं।
अच्छा, तुमने बताया शमा और दीपक एक दूसरे से प्यार करते हैं, क्या उन लोगों ने शादी की?"
आरव सिर हिलाते हुए "न, तुम्हारे divorce के बाद वो लोग शादी करने ही वाले थे, infact शादी वाले दिन ही शमा अचानक से बेहोश हो गई, hospital लेकर गए तो पता चला उसे blood cancer है, उसने बहुत treatment कराया, पर.......कुछ खास फायदा नहीं हुआ। और अब वो ऑस्ट्रेलिया में है, ज्यादा से ज्यादा उसके पास दो महीने और हैं, उसका कहना है तुम्हारे और तुम्हारे बच्चे को जिस तरह तकलीफ दी, उसके बाद ये सजा भी उसके लिए कम है।"
इतना सुनकर रीमा बहुत जोर जोर से रोने लगी, और आरव उसे और प्यार से सीने में लगा लेता है। और उसे रोने देता है।
कुछ देर बाद रीमा थोड़ा शांत होती है, तब आरव अपनी आवाज में शरारत भरकर बोलता है, "देखो, आज जितना रोना है रो लो, आगे से फिर नहीं रोने दूंगा।"
इस बात पर रीमा कोई रिएक्ट नहीं करती, बस सिसकती रहती है, आरव उसके सिर और बालों पर हाथ फेरते हुए कहता है, "सुनो ना, एई! सुबह मम्मी पापा अंकल आंटी को लेकर आ जायेंगे, हमारी शादी तय करने।"
इतना सुनते ही रीमा झट से आरव से अलग हो जाती है, और उठकर खड़ी हो जाती है, "नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। मैं तुम्हारी जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकती, इसका कोई हक नहीं मुझे।"
आरव भी झट से उसकी कलाई पकड़ लेता है, और कहता है "तो मुझसे दूर रहकर मुझे बिन वजह सजा देने का हक किसने दिया तुम्हे?"
इतना कहकर आरव रीमा को खींच कर सोफे पर बैठा लेता है।
रीमा कुछ कहने ही वाली थी कि आरव ने उसके होठों पर हाथ रख दिया, और बोला, "रीमा.... तुम बहुत बोलती हो।"
इतना कहकर, पलक झपकते ही उसने रीमा के होठों को चूम लिया।
एक सेकंड में मानो रीमा और रीमा की पूरी दुनिया बदल गई, दोनों की सांसें तेज़ हो गई, बाहर बारिश की बूंदों की आवाज और तेज हो गई, और जोर से कहीं बिजली गिरने की आवाज आई। और रीमा झट से आरव से लिपट गई, और उसके भीगे होठों से निकला "आरव...."
उसके हाथ आरव के नग्न सीने पर था, वो धीरे धीरे उसके सीने पर हाथ फेरने लगी,
आरव से भी अब और रहा नहीं गया और पागलों की तरह उससे लिपट गया, और उसके होठों
को चूमने लगा,,,
उसे अपने और भी ज्यादा करीब करने लगा, उसे टूटकर प्यार करने लगा, रीमा की आँहें बयां कर रही थी कि "बंजर मिट्टी बरसों के बाद के बारिश से तृप्त हो रही है।"
सारांश:
रीमा एक अकेली और उदास रात में अपने कमरे में बैठी हुई थी, जब उसे अपने बगीचे में एक परछाई दिखाई दी। यह आरव था, उसका बचपन का दोस्त और बेस्ट फ्रेंड, जिसे उसने कई सालों बाद देखा। दोनों ने एक-दूसरे से मिलकर पुरानी यादें ताजा कीं और आरव ने रीमा को उसके अतीत की दर्दनाक सच्चाइयों से अवगत कराया। रीमा के पति दीपक और उसकी दोस्त शमा ने रीमा की जिंदगी को बर्बाद करने के लिए एक घिनौनी साजिश रची थी। रीमा ने अपने अत्याचारों से भरे जीवन के बारे में आरव को बताया और अंत में, आरव ने रीमा से कहा कि वे शादी करेंगे और एक नया जीवन शुरू करेंगे।
Gjb ..heart touching story 👌
जवाब देंहटाएंThank you dear
हटाएं👌👌
जवाब देंहटाएं❤️❤️😊
हटाएंवाह क्या कहने जी...बहुत गहरी कहानी.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
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