ठंडी हवा के झोंकों के साथ दिसंबर का आखिरी दिन आया। शहर के हर कोने में नए साल का स्वागत करने की तैयारियाँ चल रही थीं। मॉल्स में सजे हुए क्रिसमस ट्री, बाजारों में चहल-पहल और सड़कों पर दौड़ती-भागती गाड़ियाँ, मानो हर कोई किसी खास जगह पहुँचने की जल्दी में था।
इस सब के बीच, एक छोटे से घर में श्रीवास्तव परिवार भी अपनी तरह से नए साल की तैयारियों में लगा था। यह एक साधारण, पर खुशहाल परिवार था जिसमें रमेश (पिता), सीमा (माँ), और उनके दो बच्चे, आरोही और आर्यन, शामिल थे।
रमेश एक सरकारी कर्मचारी थे। उनकी जिंदगी साधारण थी, लेकिन उनकी उम्मीदें बड़ी थीं। इस साल रमेश ने सोचा था कि वह अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताएँगे। सीमा एक गृहिणी थीं, जिनके लिए उनका परिवार ही उनकी दुनिया थी। नए साल के अवसर पर उन्होंने पूरे घर को अपने हाथों से सजाया था।
आरोही, 14 साल की समझदार लड़की थी, जो डॉक्टर बनने का सपना देख रही थी। वहीं, आर्यन 10 साल का था, जिसे क्रिकेट का बेहद शौक था।
"मम्मी, क्या हमें सच में रात 12 बजे तक जागना पड़ेगा?" आर्यन ने उत्सुकता से पूछा।
"हाँ बेटा," सीमा ने मुस्कुराते हुए कहा, "आज तो हम सब मिलकर नए साल का स्वागत करेंगे।"
रात का खाना खाकर पूरा परिवार लिविंग रूम में इकट्ठा हुआ। सीमा ने नए साल की पार्टी के लिए पेस्ट्री और जूस तैयार किए थे। आरोही ने सुझाव दिया, "क्यों न इस बार हम सब एक-एक संकल्प लें और उसे लिखकर बॉक्स में डालें?"
यह सुझाव सभी को पसंद आया। रमेश ने कहा, "ठीक है, लेकिन हमें अपने संकल्प ईमानदारी से पूरे करने होंगे।"
जब सबने अपने संकल्प लिखे, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। पड़ोस में रहने वाले मिस्टर गुप्ता मदद मांगने आए थे। उनकी पत्नी बीमार थीं और उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए किसी की ज़रूरत थी।
रमेश तुरंत मदद के लिए तैयार हो गए। उन्होंने परिवार से कहा, "नया साल हमारे लिए दूसरों की मदद करने की प्रेरणा भी होना चाहिए। मैं गुप्ता जी के साथ जाता हूँ। तुम लोग अपना जश्न जारी रखो।"
आधी रात को जब रमेश वापस आए, तो बच्चों ने खुशी से उनका स्वागत किया। सीमा ने कहा, "आपने जो किया, वही असली नया साल मनाने का मतलब है। दूसरों की मदद करना ही सच्ची खुशी देता है।"
रात के ठीक 12 बजे सभी ने नए साल का स्वागत किया। रमेश ने अपने परिवार को गले लगाते हुए कहा, "हमारा संकल्प है कि इस साल हम एक-दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताएँगे और हर खुशी में साथ रहेंगे।"
नए साल की पहली सुबह पूरे श्रीवास्तव परिवार के लिए नई उम्मीदें और नए सपने लेकर आई। यह साल उनके लिए सिर्फ
एक तारीख नहीं, बल्कि नई शुरुआत का प्रतीक बन गया।
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