ठंडी सर्दी की हवा जयपुर की सड़कों पर बह रही थी, जैसे साल भर के राज़ और आने वाले साल की उम्मीदें एक दूसरे से बयां कर रही हों। यह नव वर्ष की पूर्व संध्या थी, और शहर जड़ों से लेकर छतों तक, हर जगह बत्तियों से जगमगा रहा था, हर एक बत्ती में अनेकों दिलों की उम्मीदें बसी थीं। लेकिन माया के लिए यह बस एक और रात थी, एक और दिन, जिसे वह बस यूं ही जी रही थी, जैसे दिन काटने के अलावा कोई और काम नहीं था।
माया अपने अपार्टमेंट की खिड़की के पास खड़ी थी, नीचे बसी सड़कों पर भीड़ को देख रही थी। कैफे में जमा लोग, हर कोने से हंसी की आवाजें आ रही थीं, लोग संकल्प बना रहे थे, एक दूसरे को चुम्बन दे रहे थे और खुशी से नव वर्ष का स्वागत कर रहे थे। लेकिन माया को इनमें से कुछ भी महसूस नहीं हो रहा था। उसका संसार, तीन महीने पहले आए एक तूफ़ान के बाद, बस धुंधला सा हो गया था।
उसके जीवन का प्यार, आर्व, बिना किसी चेतावनी के लंदन चला गया था, और सारे वादों के बावजूद वह कभी वापस नहीं आया। उनका रिश्ता प्रेम, जोश और उस तरह की केमिस्ट्री से भरा हुआ था, जिससे हर पल जीने का अहसास होता था। लेकिन ज़िंदगी ने उनका इम्तिहान लिया और उनके बीच की दूरी एक गहरी खाई बन गई।
"मुझे तो ऐसा लगता था कि प्यार सब कुछ जीत लेता है," माया ने खुद से कहा, बिना जाने एक आंसू उसकी आँख से बह निकला। उसने अपना सिर झटका, इन भावनाओं को नकारने की कोशिश की, लेकिन ये जैसे उसके दिल में रुक कर रह गईं, किसी अनकहे दर्द की तरह।
तभी दरवाजे की घंटी बजी। माया ने चौंकते हुए दरवाजा खोला, और सामने खड़ा था वह, जिसे उसने कभी नहीं सोचा था कि वह फिर से देख पाएगी। आर्व।
"तुम?" माया की आवाज़ में एक अनोखा मिश्रण था—हैरानगी, खुशी, और थोड़ा ग़ुस्सा भी। "तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"
आर्व मुस्कुराया और धीरे से अंदर आ गया। "मैंने जो कुछ किया, वो बहुत गलत किया, माया," उसने कहा, उसकी आवाज़ में उतनी ही दुखी सच्चाई थी, जितनी माया के दिल में छिपी उदासी। "तुमसे दूर जाने के बाद, मैंने महसूस किया कि मैं बहुत कुछ खो चुका हूँ।"
माया को यकीन नहीं हो रहा था। यह वह ही था, जो कभी उसकी ज़िंदगी का हिस्सा था, और अब वही शख्स उसके सामने खड़ा था, जैसे कभी कुछ हुआ ही न हो।
"तुमने मुझे छोड़ दिया, आर्व। तुम्हारी बातें, तुम्हारे वादे सब एक झूठ साबित हो गए," माया ने गहरी सांस ली, अपनी भावनाओं को काबू करने की कोशिश की।
आर्व ने एक कदम आगे बढ़ाया। "मुझे एहसास हुआ कि मैं तुम्हें खो चुका हूँ। और यह सब मेरे ग़लत फैसलों की वजह से हुआ। माया, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, और मैं इस बार सबकुछ ठीक करने के लिए तैयार हूँ।"
माया की आँखों में नमी थी, लेकिन उसके दिल में एक हलचल थी। क्या वह सच में उसे माफ कर सकती थी? क्या वह फिर से उस पुराने प्यार में विश्वास कर सकती थी?
"तुमने क्या किया?" माया ने धीरे से पूछा, जैसे उसे यकीन ही नहीं हो रहा हो। "तुमने क्या किया, जिससे मुझे यकीन हो सके कि तुम सच में वापस आना चाहते हो?"
आर्व ने अपनी जेब से एक छोटी सी कागज़ की टिकिट निकाली, जिसमें लिखा था: "इस साल के आखिरी दिन, हम दोनों एक साथ होंगे। हम अपने रिश्ते को एक नई शुरुआत देंगे, ठीक उसी तरह जैसे पहले था।"
"क्या तुम मुझसे वादा करते हो?" माया ने पूछा, उसकी आवाज़ में उम्मीद की झलक थी।
आर्व ने सिर झुकाया और कहा, "मैं तुमसे वादा करता हूँ। एक नई शुरुआत, एक नया साल, और एक नया हम।"
माया के दिल में हलचल थी, लेकिन इस हलचल में अब डर नहीं था, बल्कि एक उम्मीद थी। उसने आर्व की तरफ देखा और धीरे से मुस्कुराई।
"ठीक है," उसने कहा, "मैं तुम पर विश्वास करती हूँ, आर्व।"
जैसे ही घड़ी ने 12 बजाए, और नव वर्ष की शुरुआत हुई, माया और आर्व एक दूसरे के पास खड़े थे, उनकी आँखों में एक नया सपना था, जो अब सच होने जा रहा था। नया साल एक नई शुरुआत का वादा था, और इस बार दोनों ने अपने रिश्ते को पहले से कहीं ज्यादा मजबूत किया था।
इस नव वर्ष के पहले पल में, माया और आर्व ने एक दूसरे से जो वादा किया, वह न सिर्फ इस रात का, बल्कि हमेशा के लिए था। दोनों ने मिलकर यह संकल्प लिया कि कोई भी दूरी, कोई भी वक्त उन्हें अलग नहीं कर पाएगा। प्यार, वफादारी और समझदारी से उनका रिश्ता फिर से मजबूत होगा, और इस बार यह खत्म नहीं होगा।
"हमारा प्यार कभी खत्म नहीं हो सकता, माया," आर्व ने कहा, जैसे वह जानता हो कि यह उनकी कहानी का बस एक नया अध्याय है।
माया ने उसकी ओर देखा, और उसकी आँखों में गहरी चाहत और विश्वास था। "नहीं, आर्व। हमारा प्यार कभी खत्म नहीं होगा।"
नव वर्ष की रात, उन दोनों के लिए एक नई शुरुआत थी, और यह वादा, जो उन्होंने एक-दूसरे से किया था, एक संकल्प था
—जिसे वे दोनों पूरा करेंगे, चाहे कुछ भी हो।
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